वाद क्या है? | संप्रदाय के प्रकार | प्रमुख वाद और उनके प्रवर्तक

हिंदी साहित्य के इतिहास में समय-समय पर अनेक वाद और आंदोलन होते रहे हैं, जिसका व्यापक प्रभाव हिंदी साहित्य पर रहा है। क्योंकि इन आंदोलनों ने साहित्य की दशा और दिशा को बदल कर रख दिया। प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी साहित्य में चले प्रमुख वाद और आंदोलन से सीधे सवाल बनते रहे हैं, उसी को ध्यान में रखते हुए यहाँ प्रमुख वाद और आंदोलन की सूची दी जा रही है। जिससे प्रमुख वाद और उनके प्रवर्तक (Pramukh vad & unke pravartak) को भी सामिल किया गया है। 

संप्रदाय किसे कहते है

संप्रदाय क्या है?

अलग-अलग विचारधारा मानने वालें एक ही धर्म या वर्ग को सम्प्रदाय कहते है। सम्प्रदाय कई प्रकार के होते हैं। जैसे धर्मो के संप्रदाय हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई, इस्लाम आदी धर्मों में मौजूद है। सम्प्रदाय के अन्तर्गत आराध्य परम्परा चलती है जो गुरु द्वारा प्रतिपादित परम्परा को पुष्ट करती है। हिन्दी एवं अन्य भाषा के काव्यशास्त्र में कई वादों या संप्रदायों का जन्म हुआ।

वाद क्या है?

वाद एक प्रत्यय है जिसका प्रयोग शब्द में करने से वह उस शब्द के अर्थ में एक विशेष प्रकार का परिवर्तन कर उसकी व्याख्या को किसी विशेष पक्ष में वर्णित कर देता है। सामान्यतः इसका प्रयोग प्रत्यय के रूप में किया जाता है जैसे - राष्ट्रवाद, देववाद, नारीवाद, उदारवाद.. आदि।

इसी प्रकार हिंदी कवियों एवं उनकी रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य को कई भागों एवं कालक्रम में विभाजित किया गया है, जिसके परिणाम स्वरूप अनेक वाद का जन्म हुआ। हिन्दी व अन्य काव्यशास्त्र के प्रमुख संप्रदाय या वाद एवं उनके प्रवर्तक को इस पोस्‍ट में समाहित किया गया है। 

संप्रदाय के प्रकार

हिन्दू धार्मिक सम्प्रदाय -

  1. शैव सम्प्रदाय
  2. वैष्णव सम्प्रदाय
  3. सौर सम्प्रदाय
  4. गाणपत सम्प्रदाय
  5. शाक्त सम्प्रदाय
  6. महानुभाव सम्प्रदाय

बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय -

  1. महायान
  2. वज्रयान
  3. थेरवाद
  4. झेन
  5. नवयान

इस्लाम के सम्प्रदाय -

  1. शिया
  2. सुन्नी
  3. अहमदिया

जैन धर्म के सम्प्रदाय -

  1. श्वेतांबर
  2. दिगंबर

ईसाई धर्म के सम्प्रदाय -

  1. रोमन कैथोलिक
  2. ऑर्थोडॉक्स
  3. प्रोटेस्टेंट संप्रदाय
  4. अपोस्त्ले
  5. पास्टर
संप्रदाय के प्रकार

प्रमुख वाद और उनके प्रवर्तक

हिंदी साहित्‍य के प्रमुख वाद और उनके प्रवर्तक (Pramukh vad aur unke pravartak) निम्‍नानुसार है:-  

   1. अद्वैतवाद - शंकराचार्य
    2. विशिष्टाद्वैतवाद - रामानुजाचार्य
    3. द्वैतवाद - माधवाचार्य
    4. द्वैताद्वैतवाद - आचार्य निम्बार्क
    5. शुद्धताद्वैतवाद - बल्लभाचार्य

    6. स्यादवाद - पाश्र्वनाथ
    7. संघातवाद/क्षणिकवाद - बुद्ध
    8. श्री सम्प्रदाय - रामानुज
    9. सनक सम्प्रदाय - निम्बार्क
    10. रूद्र सम्प्रदाय - विष्णु स्वामी

    11. ब्रम्ह सम्प्रदाय - माध्वाचार्य
    12. रामावत सम्प्रदाय - रामानंद
    13. विश्नुई सम्प्रदाय - जंभनाथ
    14. उदासी सम्प्रदाय - श्रीचंद्र
    15. राधाबल्लभ सम्प्रदाय - श्रीचंद्र

    16. हरिदासी (सखी) सम्प्रदाय - स्वामी हरिदास
    17. गोडीय सम्प्रदाय - चैतन्य
    18. भक्ति के प्रवर्तक - रामानुज
    19. बिम्बवाद - टी.ए. हयूम
    20. कैप्सूलवाद - ओंकार नाथ त्रिपाठी

    21. मांसलवाद - रामेश्वर शुक्ल
    22. छायावाद - जयशंकर प्रसाद
    23. स्वछंदतावाद - श्रीधर पाठक
    24. रीतिकाल - केशवदास
    25. हालावाद - हरिवंश राय

    26. प्रयोगवाद - अज्ञेय
    27. अलंकर वाद - मम्मट
    28. ध्वनिवाद - आनंदवर्धन
    29. रीति - वामन
    30. औचित्य - क्षेमेन्द्र

    31. समानान्तर कहानी - कमलेश्वर
    32. सचेतन कहानी - महीप सिंह
    33. सहज कहानी - अमृत राय
    34. सक्रिय कहानी - राकेश वत्स
    35. पुषिटमार्ग - बल्लभाचार्य

    36. नकेनवाद - नलिन विलोचन
    37. वेदांतवाद - बादराय
    38. अभिव्यक्तिवाद - अभिनव गुप्त
    39. अनुमितिवाद - शंकुक
    40. उत्त्पतिवाद - भट्ट लोल्लक

    41. भुक्तिवाद भट्ट - नायक
    42. विखंडनवाद ज्यांक - देरिदा
    43. साधारणीकरण - भट्ट नायक  
    44. स्वसुखी संप्रदाय - रामचरण