माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) का जीवन परिचय, उनकी प्रमुख रचनाएँ, प्राप्त पुरस्कार व सम्मान एवं उनकी प्रमुख कविता दी गई है। माखनलाल चतुर्वेदी जी का जीवन परिचय विस्तार से जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़े।
माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय
श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले(वर्तमान नर्मदापूरम) में बाबई नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम नंदलाल चतुर्वेदी था जो गाँव के ही प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक थे। प्राथमिक शिक्षा के बाद घर पर ही इन्होंने संस्कृत, बांग्ला, गुजरात, अंग्रेजी, आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। मात्र 16 वर्ष की आयु में शिक्षक बन गये थे।
पूरा नाम
माखन लाल चतुर्वेदी
जन्म
4 अप्रैल, 1889 ई.
जन्म स्थान
बावई, मध्य प्रदेश
मृत्यु
30 जनवरी, 1968 ई.
कर्म-क्षेत्र
कवि, लेखक, पत्रकार, अध्यापक
मुख्य रचनाएँ
'कृष्णार्जुन युद्ध', 'हिमकिरीटिनी', 'हिमतरंगिनी', 'माता', 'युगचरण', 'समर्पण', 'वेणु लो गूँजे धरा' आदि।
विषय
कविता, नाटक, ग्रंथ, कहानी
भाषा
हिन्दी, संस्कृत
माखनलाल चतुर्वेदी भारत के एक ख्याति प्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ हमेशा से ही अत्यंत लोकप्रिय रही हैं। वे सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंदी रचनाकार थे। इन्होंने प्रभा और कर्मवीर जैसे प्रतिष्ठत पत्रों के संपादक के रूप में कार्य किया तथा ब्रिटिश शासन के खिलाफ जोरदार प्रचार किया। वे एक सच्चे देशप्रेमी थे और सन् १९२१-२२ के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया तथा जिस कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उनकी कविताओं में देशप्रेम के साथ-साथ प्रकृति तथा प्रेम का भी चित्रण हुआ है, इसलिए वे सच्चे अर्थों में युग-चारण माने जाते हैं।
माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएं
काव्य कृतियाँ
- हिमकिरीटिनी १९४३ ई.,
- हिम तरंगिणी १९४९ ई.,
- माता १९51 ई.,
- समर्पण 1956 ई., तथा अन्य युग चारण, मरण ज्वार, बीजुरी काजल, वेणु लो गूंजे धरा, आँज रही आदि
गद्यात्मक कृतियाँ
- कृष्णार्जुन युद्ध, साहित्य के देवता, अमीर इरादे :गरीब इरादे, समय के पाँव आदि
निबंध संग्रह
- साहित्य देवता।
- अमीर इरादे गरीब इरादे (1960ई०)
माखनलाल चतुर्वेदी को प्राप्त पुरस्कार व सम्मान
- १९४३ में 'देव पुरस्कार' माखनलालजी को 'हिम किरीटिनी' पर दिया गया था।
- 'पुष्प की अभिलाषा' तथा 'अमर राष्ट्र' जैसी ओजस्वी रचनाओं के लिए १९५९ में सागर विश्वविद्यालय ने डी.लिट्. की मानद उपाधि से विभूषित किया।
- १९६३ में भारत सरकार ने इन्हें 'पद्मभूषण' से अलंकृत किया।
- १६-१७ जनवरी १९६५ को खंडवा में मध्यप्रदेश शासन की ओर से 'एक भारतीय आत्मा' चतुर्वेदी जी के लिए नागरिक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
- माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल में उन्हीं के नाम पर स्थापित किया गया है।
- उनके काव्य संग्रह 'हिमतरंगिणी' के लिये उन्हें १९५५ में हिंदी के 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु
श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1968 हो गई. उस समय उनकी आयु 79 वर्ष थी। और देश को तब भी उनके लेखन से बहुत उम्मीदें थी.