50+ Dr. br ambedkar quotes in hindi | भीमराव अंबेडकर के विचार

भीमराव रामजी आम्बेडकर भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाज सुधारक थे। उन्होंने दलित आंदोलन के साथ-साथ श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री थे। भारतीय संविधान के जनक कहे जाते है।

ambedkar quotes in hindi, भीमराव अंबेडकर के विचार


डॉ. भीमराव अंबेडकर ने दलिता, मलिलाओं तथा इस देश के विकास के बारे में अपने विचार दिये है उन विचारों में कुछ इस पोस्‍ट में आपके साथ साझा करने का प्रयास किया जा रहा है। आपके लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचार प्रस्‍तुत है।  

भीमराव अंबेडकर के विचार (ambedkar quotes in hindi):-


1. “मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है।”


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2. एक विचार को प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है जितना कि एक पौधे को पानी की आवश्यकता होती है। नहीं तो दोनों मुरझाएंगे और मर जायेंगे।


3. मैं बहुत मुश्किल से इस कारवां को इस स्थिति तक लाया हूं। यदि मेरे लोग, मेरे सेनापति इस कारवां को आगे नहीं ले जा सकें, तो पीछे भी मत जाने देना।


4. मैं समझता हूं कि कोई संविधान चाहे जितना अच्छा हो, वह बुरा साबित हो सकता है, यदि उसका अनुसरण करने वाले लोग बुरे हों। एक संविधान चाहे जितना बुरा हो, वह अच्छा साबित हो सकता है, यदि उसका पालन करने वाले लोग अच्छे हों।


5. राजनीति में हिस्सा ना लेने का सबसे बड़ा दंड यह है कि अयोग्य व्यक्ति आप पर शासन करने लगता है।

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6. मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।

7. पानी की बूंद जब सागर में मिलती है तो अपनी पहचान खो देती है। इसके विपरीत व्यक्ति समाज में रहता है पर अपनी पहचान नहीं खोता। इंसान का जीवन स्वतंत्र है। वो सिर्फ समाज के विकास के लिए पैदा नहीं हुआ बल्कि स्वयं के विकास के लिए भी पैदा हुआ है।


8. महान प्रयासों को छोड़कर इस दुनिया में कुछ भी बहुमूल्‍य नहीं है।


9. अगर मुझे लगा कि मेरे द्वारा बनाये गए संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो सबसे पहले मैं इसे जलाऊंगा।


 10. शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो।

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11. एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है।

12. मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं।”

13. छीने हुए अधिकार भीख में नहीं मिलते, अधिकार वसूल करना होता है।

14. वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं।


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15. जो कौम अपना इतिहास नही जानती है, वह कौम कभी अपना इतिहास नही बना सकती है।


16. जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए।


17. गुलाम बन कर जिओगे, तो कुत्ता समझ कर लात मारेगी ये दुनिया। नवाब बन कर जिओगे तो शेर समझ कर सलाम ठोकेगी। 


18. मानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।


19. जो कौम अपना इतिहास नही जानती है, वह कौम कभी अपना इतिहास नहीं बना सकती है। 

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20. राजनीतिक अत्याचार, सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है। समाज को बदनाम करने वाले सुधारक सरकार को नकारने वाले राजनेता की तुलना में अधिक अच्छे व्यक्ति हैं।


21. हर व्यक्ति जो 'मिल' के सिद्धांत कि ‘एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता’ को दोहराता है उसे ये भी स्वी कार करना चाहिए कि ‘एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता’।


22. धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए। 


२३. शिक्षा वो शेरनी है। जो इसका दूध पिएगा वो दहाड़ेगा।


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24. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।


25. सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूंद के विपरीत, इंसान जिस समाज में रहता है, वहां अपनी पहचान नहीं खोता। 


26. यदि आप मन से स्वतंत्र हैं तभी आप वास्तव में स्वतंत्र हैं।


27. इतिहास गवाह है कि जहां नैतिकता और अर्थशाश्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशाश्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया हो।


28. एक विचार को प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है जितना कि एक पौधे को पानी की आवश्यकता होती है। नहीं तो दोनों मुरझाएंगे और मर जायेंगे।


29. धर्म मनुष्‍य के लिए है, न कि मनुष्‍य धर्म के लिए।


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30. समाज को श्रेणीविहीन और वर्णविहीन करना होगा क्योंकि श्रेणी ने इंसान को दरिद्र और वर्ण ने इंसान को दलित बना दिया। जिनके पास कुछ भी नहीं है, वे लोग दरिद्र माने गए और जो लोग कुछ भी नहीं है वे दलित समझे जाते हैं।


31. मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्छा है, मेरे बताए हुए रास्ते पर चलें।


32. संविधान केवल वकीलों का दस्‍तावेज नहीं है बल्कि यह जीवन जीने का एक माध्‍यम है।


33. क़ानून और व्यवस्था, राजनीतिक शरीर की दवा है। जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा ज़रूर दी जानी चाहिए।

34.  किसी का भी स्वाद बदला जा सकता है, लेकिन ज़हर को अमृत में परिवर्तित नहीं किया जा सकता।


35. वर्गहीन समाज गढ़ने से पहले समाज को जातिविहीन करना होगा। 

36. राष्‍ट्रवाद तभी औचित्‍य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नस्‍ल या रंग का अन्‍तर भुलाकर उनमें सामाजिक भ्रातृत्‍व को सर्वोच्‍च स्‍थान दिया जाये।

37. जीवन लंबा होने के बजाए महान होना चाहिए।   

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38. हमें जो स्वतंत्रता मिली है उसके लिए हम क्या कर रहे हैं? यह स्वतंत्रता हमें अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिली है। जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी हुई है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करती है।


39. शिक्षा महिलाओं के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी पुरुषों के लिए। 


40. ज्ञान हर व्‍‍यक्ति के जीवन का आधार है।


41. यदि हमें अपने पैरों पर खड़े होना है, अपने अधिकार के लिए लड़ना है, तो अपनी ताकत और बल को पहचानो। क्योंकि शक्ति और प्रतिष्ठा संघर्ष से ही मिलती है।


42. मंदिर जाने वाले लोगों की लंबी कतारें, जिस दिन पुस्तकालय की ओर बढ़ेंगी। उस दिन मेरे इस देश को महाशक्ति बनने से कोई रोक नही सकता है।


43. इस पूरी दुनिया में गरीब वही है, जो शिक्षित नहीं है। इसलिए आधी रोटी खा लेना, लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाना।


44. समाजवाद के बिना दलित-मेहनती इंसानों की आर्थिक मुक्ति संभव नहीं।


45. जो झुक सकता है वो झुका भी सकता है।


४६. अन्‍याय से लड़ते हुए आपकी मौत हो जाती है, तो आपकी आने वाली पीढि़यां उसका बदला जरूर लेंगी। और अगर अन्‍याय सहते हुए आपकी मौत हो जाती है, तो आपकी आने वाले पीढि़यां भी गुलाम बनी रहेंगी।

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47. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।


48. जो धर्म जन्‍म से एक को श्रेष्‍ठ और दूसरे को नीच बताये वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।


49. महात्‍मा आये और चले गये। परन्‍तु अछुत, अछुत ही बने हुए हैं।

५०. जिसे अपने दुखों से मुक्ति चाहिए, उसे लड़ना होगा। और जिससे लड़ना है उसे उससे पहले अच्छे से पढ़ना होगा। क्योंकि ज्ञान के बिना लड़ने गए तो आपकी हार निश्चित है।


51. मैं रात भर इसलिये जागता हूं क्योंकि मेरा समाज सो रहा है। 

 

52. जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता हासिल नहीं कर लेते, तब तक आपको कानून चाहे जो भी स्वतंत्रता देता है, वह आपके किसी काम की नहीं होती।

 

53. जाति कोई ईंटों की दीवार या कोई काँटों का तार नहीं है, जो हिंदुओं को आपस में मिलने से रोक सके। जाति एक धारणा है, जो मन की एक अवस्था है।


54. जिस तरह मनुष्य नश्वर है, ठीक उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। जिस तरह पौधे को पानी की जरूरत पड़ती है, उसी तरह एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरुरत होती है। वरना दोनों मुरझा कर मर जाते हैं। 


५५. जो धर्म स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है, वही सच्चा धर्म है।


56. हालांकि मैं एक हिंदू पैदा हुआ था। लेकिन मैं सत्य निष्ठा से आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं हिन्दू के रूप में मरूंगा नहीं।


57. समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।

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