राजेन्द्र बाला घोष जो 'बंग महिला' के नाम से लिखती थीं, इनके द्वारा रचित कहानी 'चन्द्रदेव से मेरी बातें' वर्ष 1904 में 'सरस्वती पत्रिका' में प्रकाशित हुई थी। यह पहली राजनीतिक कहानी है। इस कहानी की शैली 'कहानी शैली' नहीं है, अपितु यह कहानी पत्रात्मक शैली में लिखी गई है। इस कहानी की भाषा व्यंग्यात्मक है। इस कहानी में लेखिका चन्द्रदेव से संवाद कर रही है। चन्द्रदेव के अतिरिक्त अन्य किसी पात्र से लेखिका का संवाद नहीं है। अतः यह एकात्मक कहानी है।
लेखिका का परिचय
लेखिका का नाम :- राजेन्द्रबाला घोष (बंग महिला)
बचपन का उपनाम :- ‘रानी’ और ‘चारुबाला’
जन्म :- 1882 ई., वाराणसी में
मृत्यु :- 24 फरवरी 1949 ई. , मिर्जापुर में
पिता का नाम :- रामप्रसन्न घोष
माता का नाम :- नीदरवासिनी घोष
पति का नाम :- पूर्णचन्द्र देव
प्रमुख कहानियाँ :-
- चंद्रदेव से मेरी बातें (1904) सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित।
- कुंभ में छोटी बहू (1906)
- दुलाईवाली 1907 में ‘सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित।
- भाई-बहन – 1908 में ‘बाल प्रभाकर’ पत्रिका में प्रकाशित।
- दालिया (1909)
- हृदय परीक्षा – 1915 में ‘सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित।
महत्वपूर्ण तथ्य :-
- राजेन्द्रबाला घोष परिवार वाराणसी का एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार था।
- इनके पूर्वज बंगाल से आकर वाराणसी में बस गए थे।
- इन्होनें बंगला में ‘प्रवासिनी’ के नाम से लिखती थी तथा हिन्दी भाषा में बंग महिला के नाम से लिखती थीं।
- हिंदी-नवजागरण की पहली छापामार लेखिका थीं।
- आरम्भिक हिन्दी कहानी ‘दुलाईवाली’ की रचनाकार राजेन्द्र बाला घोष (बंग महिला) हैं।
- ‘बंग महिला’ को हिन्दी की प्रथम कहानी लेखिका स्वीकार किया जाता है।
- राजेंद्रबाला घोष ने बंग महिला छद्म नाम से कुछ मौलिक कहानियों का सृजन किया।
'चन्द्रदेव से मेरी बातें' कहानी के प्रमुख पात्र
कहानी में मुख्य दो पात्र है -
भगवान चंद्रदेव और स्वयं लेखिका बंग महिला (राजेन्द्र बाला घोष)
'चन्द्रदेव से मेरी बातें' कहानी की समीक्षा
इस कहानी में चन्द्रदेव के माध्यम से लॉर्ड कर्जन पर तीखा व्यंग्य किया गया है। लॉर्ड कर्जन भारत के वायसराय थे तथा उन्होंने ही वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन का बीज बोया था तथा अक्टूबर, 1905 में ही बंगाल का विभाजन भी हो गया था। लॉर्ड कर्जन भारत में ही अपने पद पर बने रहना चाहते थे, जबकि यहाँ की जनता उन्हें नापसन्द करती थी। इसी बात को लेखिका चन्द्रदेव से इस प्रकार कहती है कि आप इतने समय से अपने एक ही पद पर बने हुए हैं, क्या आपके डिपार्टमेण्ट में ट्रांसफर नहीं होते हैं।
इस कहानी का केन्द्रीय विषय अर्थ नीति व राजनीति है। इसमें देश की बदहाल आर्थिक दशा व देश में फैली बेरोजगारी का चित्रण है तथा नारी की दीन-हीन दशा व उसके साथ दासत्व के व्यवहार को प्रदर्शित किया गया है। इस कहानी में वृद्ध जनों के अनावश्यक हस्तक्षेप की ओर संकेत किया गया है। शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा तथा सुविधाओं के असमान वितरण पर व्यंग्य किया गया है। इस कहानी में सर्विस में प्रमोशन के लिए घूसखोरी व चापलूसी को आवश्यक बताया गया है। उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों को अच्छे पद प्राप्त नहीं होते, जबकि चापलूसी करने वाले जल्दी-जल्दी प्रमोशन पाकर उच्च पद पर पहुँच जाते हैं। लेखिका ने कहानी में बिजली के माध्यम से नारी की अवस्था का चित्रण किया है। वह बिजली अर्थात् विद्युत जो इतनी तेजोमयी व शक्तिशाली है कि जिसको छूने तक की हिम्मत किसी में नहीं है, वही आज पराए घर में दासी की भाँति जीवन व्यतीत कर रही है। मानो विधाता ने उसके भाग्य में यही लिख दिया है।
लेखिका द्वारा इस कहानी के माध्यम से सत्ता को भी चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि भूमण्डल की छाया के कारण ही चन्द्रमा व सूर्य पर ग्रहण लगता है अर्थात् यदि जनता खुश नहीं रहती तो सत्ता पर संकट आ सकता है। इसमें जन चेतना की ओर भी संकेत किया गया है कि देश की जनता में जागृति आ चुकी है और अब अंग्रेजों की सत्ता अधिक समय तक टिक नहीं सकती।
लेखिका हिन्दी साहित्य में नारी आधुनिकता का शंख नाद करने वाली पहली महिला थीं। भगवान चन्द्रदेव इन्हें संकेत करके पत्रात्मक शैली में कहानी लेखन किया गया है।
‘चंद्रदेव से मेरी बातें’ कहानी का मुख्य बिंदु
- कहानी "चंद्रदेव से मेरी बातचीत" सबसे पहले 1904 में सरस्वती नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। बाद में यह कई अखबारों और पत्रिकाओं में छपी।
- लक्ष्मी सागर वैष्णवी जी नामक लेखिका ने कहा कि यह कहानी वास्तव में एक निबंध की तरह है। यह उस समय लोगों की समस्याओं को भी दर्शाती है, जैसे खराब अर्थव्यवस्था और महिलाओं के साथ कैसा बुरा व्यवहार किया जाता था।
- उस समय, ब्रिटिश सरकार बंगाल को विभाजित करने की योजना बना रही थी, जिसकी शुरुआत 1903 में हुई और 1904 में जनता के सामने आई।
- इस कहानी में लेखिका बंग महिला ने लॉर्ड कर्जन नामक एक ब्रिटिश नेता और उसके शासन के तरीके का मज़ाक उड़ाया है।
- कहानी पैसे और राजनीति के बारे में बात करती है और बताती है कि कैसे लोग पदोन्नति के लिए दूसरों की चापलूसी करने की कोशिश करते हैं।
- बंग महिला ने बंगाली से कहानियों का हिंदी में अनुवाद किया और ये अलग-अलग अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं।
- कहानी में हिंदी और अंग्रेजी शब्दों का मिश्रण है।
- इस कहानी सहित कहानियों के संग्रह को आचार्य रामचंद्र शुक्ल की मदद से 1911 में "कुसुम संग्रह" नामक पुस्तक में संकलित किया गया था।
- कहानी में लेखक चंद्रदेव से बातचीत करता है, जिससे ऐसा लगता है कि वे एक-दूसरे से बात कर रहे हैं।
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Chandradev Se Meri Baatein Kahani MCQ
"चंद्रदेव से मेरी बात" पर आधारित कुछ MCQ (Multiple Choice Questions) -
प्रश्न 01. 'चंद्रदेव से मेरी बात' कहानी के लेखक कौन हैं?
- मंटो
- प्रेमचंद
- राजेन्द्रबाला घोष
- राही मासूम रजा
उत्तर: 3. राजेन्द्रबाला घोष
प्रश्न 02. कहानी 'चंद्रदेव से मेरी बात' में मुख्य पात्र कौन है?
- चंद्रदेव
- लेखक
- लेखक की माँ
- लेखक का मित्र
उत्तर: 2. लेखक
प्रश्न 03. कहानी में चंद्रदेव के उत्तरों से लेखक को क्या सीख मिलती है?
- जीवन में समझदारी
- दीन-हीनता
- आत्मविश्वास
- शांतिपूर्ण जीवन
उत्तर: 1. जीवन में समझदारी
प्रश्न 04. कहानी में चंद्रदेव से संवाद करने की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- अपनी व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान पाना
- भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करना
- जीवन की वास्तविकता और अर्थ को समझना
- समाज की स्थिति पर चर्चा करना
उत्तर: 3. जीवन की वास्तविकता और अर्थ को समझना
प्रश्न 05. कहानी में चंद्रदेव का चित्रण किस रूप में किया गया है?
- केवल एक विद्रोही स्वरूप में
- एक शांत, मूक और स्थिर ग्रह के रूप में
- एक दुखी और परेशान देवता के रूप में
- एक हर्षित और आनंदित देवता के रूप में
उत्तर: 2. एक शांत, मूक और स्थिर ग्रह के रूप में
प्रश्न 06. लेखक का चंद्रदेव से संवाद किस विषय पर केंद्रित है?
- भूतकाल की यादें
- वर्तमान और भविष्य की चुनौतियाँ
- समाज में व्याप्त कुरीतियाँ
- जीवन के उद्देश्य और अर्थ
उत्तर: 4. जीवन के उद्देश्य और अर्थ
प्रश्न 07. कहानी में लेखक चंद्रदेव से किस प्रकार की बातचीत करता है?
- राजनीति पर
- जीवन और अस्तित्व पर
- धार्मिक विषयों पर
- विज्ञान पर
उत्तर: 2. जीवन और अस्तित्व पर
प्रश्न 08. 'चंद्रदेव से मेरी बात' कहानी में चंद्रदेव का क्या प्रतीकात्मक अर्थ है?
- ज्ञान और समझ
- सुख और समृद्धि
- समय और परिवर्तन
- सत्य और धर्म
उत्तर: 3. समय और परिवर्तन
प्रश्न 09. कहानी में चंद्रदेव के उत्तरों से लेखक को किस प्रकार का बोध होता है?
- जीवन की सरलता
- आत्ममंथन और चिंतन
- दूसरों की मदद करना
- निराशा और हताशा
उत्तर: 2. आत्ममंथन और चिंतन
प्रश्न 10. कहानी के अंत में लेखक का दृष्टिकोण किस दिशा में बदलता है?
- जीवन में संघर्ष को समझना
- चंद्रदेव के विचारों को समझना
- आत्मविश्वास और समर्पण की दिशा में
- जीवन के सतत परिवर्तन को स्वीकारना
उत्तर: 4. जीवन के सतत परिवर्तन को स्वीकारना
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