हिन्दी एकांकी - किसी विषय वस्तु से संबंधित एक अंक वाले नाटकों को एकांकी कहा जाता हैं। एकांकी या एकांकी नाटक अंग्रेजी के 'वन ऐक्ट प्ले' शब्द के लिए प्रयोग किया जाता है। इस पोस्ट एकांकी का उद्भव और विकास संबंधी जानकारी साक्षा की जाएगी, जिससे प्रतियोगी परिक्षा में सीधे प्रश्न पुछे जाते रहे है।
हिन्दी एकांकी का उद्भव और विकास
हिन्दी में एकांकी लेखन का आरम्भ भारतेन्दु युग से होता है, किन्तु हिन्दी में एकांकियों का आरम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा हुआ। उन्होंने प्राचीन संस्कृत नाट्य साहित्य से प्रेरणा ग्रहण करते हुए नाटक व एकांकी के विभिन्न रूपों के विकास का प्रयत्न किया। उन्होंने 'धनंजय-विजय', 'प्रेम-योगिनी', 'पाखण्ड - विडम्बनम्', 'अंधेर नगरी', 'विषस्य विषमौषधम्', 'वैदिकी हिंसा-हिंसा न भवति' आदि की रचना की, जिनमें प्राचीन ढंग की एकांकियों के लक्षणों का निर्वाह हुआ है।
भारतेन्दु के अतिरिक्त उनके युग में अन्य लेखकों ने सौ से अधिक रूपकों व प्रहसनों आदि की रचना की, जिन्हें प्राचीन ढंग की एकांकी कह सकते हैं। द्विवेदी युग में हिन्दी एकांकी के स्वरूप पर पाश्चात्य एकांकी का भी प्रभाव पड़ने लगा, जिससे उनके बाह्य रूप में क्रमशः थोड़ा-थोड़ा अन्तर आने लगा, किन्तु उनकी मूल आत्मा भारतेन्दु युग के अनुरूप ही रही। उनका प्रमुख उद्देश्य समाज सुधार एवं राष्ट्रोन्नति ही रहा।
इस युग की प्रमुख एकांकियों में मंगल प्रसाद विश्वकर्मा का 'शेरसिंह', सियारामशरण गुप्त का 'कृष्णा', ब्रजलाल शास्त्री के 'भारती' में प्रकाशित अनेक एकांकी - 'नीला', 'दुर्गावती', 'पन्ना', 'तारा' आदि, रामसिंह वर्मा के दो प्रहसन 'रेशमी रूमाल' और 'क्रिसमस', सरयू प्रसाद बिन्दु की 'भयंकर भूत', शिवरामदास गुप्त की 'नाक में दम', बद्रीनाथ भट्ट की 'रेगड़ समाचार के एडीटर की धुल दच्छना', रूपनारायण पाण्डेय की 'मूर्ख मण्डली', पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' की 'चार बेचारे', श्री सुदर्शन की 'ऑनरेरी मजिस्ट्रेट' आदि उल्लेखनीय हैं।
पाश्चात्य शैली में लिखी गई एकांकी को 'आधुनिक एकांकी' कह सकते हैं। इसका विकास हिन्दी में लगभग 1930 ई. के अनन्तर हुआ। जयशंकर प्रसाद ने वर्ष 1929 के लगभग 'एक घूँट' की रचना की।
विभिन्न विद्वानों ने 'एक घूँट' को आधुनिक ढंग की सर्वप्रथम हिन्दी एकांकी स्वीकार किया है। डॉ. हरदेव बाहरी का कथन है- “यों तो भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, बद्रीनारायण चौधरी, राधाचरण गोस्वामी, बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र और राधाकृष्ण दास ने पिछली शताब्दी में ही ऐसे रूपक लिखे थे, जो आजकल की एकांकियों से मिलते-जुलते हैं, परन्तु इन्हें आदर्श एकांकी नहीं कह सकते।"
डॉ. नगेन्द्र की भी मान्यता है कि- “सचमुच हिन्दी एकांकी का प्रारम्भ प्रसाद के 'एक घूँट' से हुआ है।" प्रसाद पर संस्कृत का प्रभाव है, इसलिए वे हिन्दी एकांकी के जन्मदाता नहीं कहे जा सकते, यह बात मान्य नहीं है। एकांकी की पद्धति का 'एक घूँट' में पूरा निर्वाह है। प्रसाद के 'एक घूँट' के अनन्तर अनेक लेखकों ने अनूदित एवं मौलिक एकांकी लिखीं। श्री कामेश्वरनाथ भार्गव ने 'बिशप्स केण्डिलस्टिकस' का अनुवाद 'पुजारी' शीर्षक से प्रस्तुत किया।
मौलिक एकांकियों की परम्परा को आगे बढ़ाने का श्रेय सर्वप्रथम डॉ. रामकुमार वर्मा को है। उनकी 'बादल की मृत्यु' एकांकी 1930 ई. में प्रकाशित हुई, जिसे डॉ. सत्येन्द्र ने 'एक घूँट' के अनन्तर दूसरा स्थान दिया है। प्रयोग की दृष्टि से एकांकी के इतिहास में इसका स्थान महत्त्वपूर्ण माना गया है। आगे चलकर वर्मा जी के कई एकांकी संग्रह प्रकाशित हुए, जिन्हें कालक्रमानुसार इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है-पृथ्वीराज की आँखें, रेशमी टाई, चारुमित्रा, विभूति, सप्तकिरण, रूपरंग, कौमुदी महोत्सव, ध्रुव-तारिका, ऋतुराज, रजत-रश्मि, दीपदान, काम-कन्दला, बापू, इन्द्रधनुष, रिमझिम आदि।
डॉ. रामकुमार वर्मा के साथ-साथ ही एकांकी के क्षेत्र में अवतीर्ण होने वाले लेखकों में श्री लक्ष्मीनारायण मिश्र, उपेन्द्रनाथ 'अश्क', उदयशंकर भट्ट, भुवनेश्वर प्रसाद मिश्र, सेठ गोविन्ददास, जगदीशचन्द्र माथुर, गणेश प्रसाद द्विवेदी आदि प्रमुख हैं।
लक्ष्मीनारायण मिश्र के एकांकी संग्रह का क्रम इस प्रकार है-अशोक वन, प्रलय के पंख पर, एक दिन, कावेरी में कमल, बलहीन, नारी का रंग, स्वर्ग में विप्लव, भगवान मनु तथा अन्य एकांकी आदि। इन्होंने अपनी एकांकियों में पौराणिक, ऐतिहासिक, राजनैतिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं का चित्रण सूक्ष्म रूप में किया है। उसमें ज्ञान और मनोरंजन का समन्वय सुन्दर ढंग से हुआ है। सामाजिक समस्याओं के चित्रण में उपेन्द्रनाथ अश्क को अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई। वे मध्यमवर्ग के समाज की कमजोरियों, रूढ़ियों तथा जीर्ण-शीर्ण परम्पराओं पर व्यंग्यात्मक शैली में प्रकाश डालते हैं-लक्ष्मी का स्वागत, सूखी डाली उनके पारिवारिक जीवन से सम्बन्धित एकांकी हैं। व्यंग्य की तीखी चोट करने में अश्क की बराबरी हिन्दी का और कोई एकांकी-लेखक नहीं कर सका। 'अधिकार का रक्षक' उनकी इस व्यंग्यात्मक शैली का स्थायी प्रमाण है।
भुवनेश्वर प्रसाद मिश्र पाश्चात्य एकांकियों एवं एकांकीकारों की शैली का हिन्दी में पूर्ण विकास करने की दृष्टि से बहुत विख्यात हैं, उनकी प्रथम एकांकी 'श्यामा : एक वैवाहिक विडम्बना' 1936 ई. में प्रकाशित हुई थी. जिस पर बर्नार्डशा के 'कैण्डिडा' का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। तत्पश्चात् 'पतिता' एक 'साम्यहीन साम्यवादी', 'प्रतिभा का विवाह', 'रहस्य रोमांच', 'लाटरी', 'मृत्यु' आदि एकांकी प्रकाशित हुई जो पाश्चात्य प्रभाव से युक्त हैं।
उनकी प्रौढ़ रचनाओं में 'सवा आठ बजे', 'आदमखोर', 'इन्स्पेक्टर जनरल', 'रोशनी और आग', 'फोटोग्राफर के सामने', 'ताँबे के कीड़े', 'आजादी की नींद', 'सीकों की गाड़ी' आदि उल्लेखनीय हैं। जगदीशचन्द्र माथुर की प्रथम एकांकी 'मेरी बाँसुरी' 1936 ई. में प्रकाशित हुई थी। तदनन्तर अनेक एकांकी प्रकाशित हुईं-'भोर का तारा', 'कलिंग-विजय', 'रीढ़ की हड्डी', 'मकड़ी का जाला', 'खण्डहर खिड़की की राह', 'घोंसले', 'कबूतर खाना', 'भाषण', 'ओ मेरे सपने', 'शारदीय', 'बन्दी' आदि। उनकी रचनाओं में हास्य और व्यंग्य का पुट भी मिलता है। उनकी रचनाओं में विचार और अनुभूति/प्रचार और कला तथा ज्ञान एवं मनोरंजन दोनों का सुन्दर समन्वय उपलब्ध होता है।
अन्ततः कहा जा सकता है कि हिन्दी एकांकी विकास के पथ पर अग्रसर है, जिसके परिणामस्वरूप आज हिन्दी एकांकी के विकास की पर्याप्त सम्भावनाएँ दिखाई दे रही हैं।
हिन्दी एकांकी का काल विभाजन
हिन्दी-एकांकी के विकास-क्रम को ऐतिहासिक दृष्टि से निम्न प्रमुख काल-खण्डों में विभाजित किया जा सकता है:-
- भारतेन्दु-द्विवेदी युग (1875-1928)
- प्रसाद-युग (1929-37)
- प्रसादोत्तर-युग (1938-47)
- स्वातंत्रयोत्तर-युग (1948 से अब तक)
एकांकियों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- रांगेय राघव ने कारवाँ (भुवनेश्वर प्रसाद) को हिंदी की प्रथम एकांकी माना है।
- हरिचंद्र वर्मा ने बादल की मृत्यु-1930 (रामकुमार वर्मा) को हिंदी की प्रथम एकांकी माना है।
- जयशंकर प्रसाद की एकांकी एक घंट से एकांकी नाटकों का प्रारंभ सोमनाथ गुप्त व अज्ञेय ने माना है।
- नगेन्द्र ने एक घूँट-1929 (जयशंकर प्रसाद) को हिंदी की प्रथम एकांकी माना है।
- सत्येन्द्र नामक विद्वान ने भारतेंदु से एकांकी नाटकों का प्रारंभ माना है।
- पश्चिमी नाट्य-विधान को दृष्टी में रखकर रचा गया हिंदी का पहला एकांकी बादल की मृत्यु (रामकुमार वर्मा) की है।
- गणेश प्रसाद द्विवेदी - सोहाग बिंदी तथा अन्य नाटक संग्रह
- आधुनिक हिंदी एकांकी के जनक रामकुमार वर्मा को माना जाता है।
- रामकुमार वर्मा का प्रथम एकांकी संग्रह पृथ्वी राज की आँखें (1936) थी
- रामकुमार वर्मा ने ऐतिहासिक व समस्यामूलक एकांकियों की रचना की है।
- उदय शंकर भट्ट का अभिनव एकांकी (1940) प्रथम एकांकी संग्रह था।
एकांकी और एकांकीकार
S.No. | एकांकीकार | एकांकी |
---|---|---|
01. | देवकीनंदन खत्री | जनेऊ का खेल |
02. | ‘उग्र’ | चार वेचारे, अफजल बध, भाई मियाँ |
03. | राधाचरण गोस्वामी | तन-मन-धन गुसाँई जी के अर्पण |
04. | बालकृष्ण भट्ट | शिक्षादान |
05. | जयशंकर प्रसाद | एक घूँट |
06. | भुवनेश्वर | ताँबे के कीड़े, आजादी की नींद, स्ट्राइक, बाजीराव की तस्वीर, फोटोग्राफर के सामने, लाटरी, सिकंदर, एक साम्यहीन साम्यवादी, प्रतिभा का विवाह, श्यामा |
07. | डॉ० रामकुमार वर्मा | रेशमी टाई, चारुमित्रा, विभूति, सप्तकिरण, औरंगजेब की आखिरी रात, पृथ्वी राज की आँखें, एक तोले अफीम की कीमत, चंगेज खाँ, कौमुदी महोत्सव, मयूरपंख, जूही के फूल, दीपदान, दस मिनट, 18 जुलाई की शाम, एक्ट्रेस |
08. | उदयशंकर भट्ट | आत्मदान, दस हजार, एक ही कब्र में विस्फोट, समस्या का अंत, निर्दोष की रक्षा, बीमार का इलाज |
09. | अश्क | लक्ष्मी का स्वागत, जोंक, अधिकार का रक्षक, छः एकांकी, साहब को जुकाम है, अंधी गली, अंजो दीदी, सूखी डाली, स्वर्ग की झलक, भंवर, मोहब्बत, आपस का समझौता, विवाह के दिन, देवताओं की छाया में |
10. | रामनरेश त्रिपाठी | स्वप्नों के चित्र, दिमागी ऐयाशी |
11. | भगवतीचरण वर्मा | सबसे बड़ा आदमी |
12. | जगदीशचंद्र माथुर | भोर का तारा, मेरी बाँसुरी, ओ मेरे सपने, रीढ़ की हड्डी, मकड़ी का जाला, कबूतरखाना |
13. | सेठ गोविंददास | ईद और होली, प्रायश्चित्त, फाँसी, एकादमी |
14. | धर्मवीर भारती | नदी प्यासी थी, नीली झील, सृष्टि का आखिरी आदमी, संगमरमर पर एक रात, आवाज का नीलाम |
14. | प्रभाकर माचवे | गली के मोड़ पर, पागलखाने में पंचकन्या, गाँधी की राह पर, वधू चाहिए |
15. | हरिकृष्ण ‘प्रेमी’ | मातृमंदिर, राष्ट्रमंदिर, न्यायमंदिर, वाणीमंदिर |
16. | विष्णु प्रभाकर | प्रकाश और परछाई, गहरा सागर, क्या वह दोषी था, पापी इन्सान, दस बजे रात, वापसी |
17. | मोहन राकेश | अंडे के छिलके, प्यालियाँ टूटती हैं, सिपाही की माँ, छतरियाँ, बहुत बड़ा सवाल, हाँ! करफ्यू |
18. | गिरिजाकुमार माथुर | उमरकैद |
19. | मार्कण्डेय | पत्थर और परछा |
20. | लक्ष्मी नारायण मिश्र | कटोरी में कमल, मुक्ति का रहस्य राजयोग |
21. | जैनेंद्र | टकराहट |
22. | लक्ष्मीनारायण लाल | ल पर्वत के पीछेबहुरंगी, ताजमहल के आँसू, औलादी का बेटा, दूसरा दरवाजा |
Hindi Ekanki MCQ
प्रश्न 01. एकांकी के जनक कौन थे?
- रामकुमार वर्मा
- जगदीश चन्द्र माथुर
- उदयशंकर भट्ट
- विष्णु प्रभाकर
उत्तर: रामकुमार वर्मा
प्रश्न 02. 'लक्ष्मी का स्वागत' किस एकांकीकार की कृति है?
- उपेन्द्रनाथ अश्क
- सेठ गोविन्ददास
- रामकुमार वर्मा
- गोविन्दबल्लभ पन्त
उत्तर: उपेन्द्रनाथ अश्क
प्रश्न 03. डॉ. रामकुमार वर्मा की कृति इनमें से कौन-सी है?
- धूम शिखा
- कौमुदी महोत्सव
- मान मन्दिर
- प्रकाश और परछाई
उत्तर: कौमुदी महोत्सव
प्रश्न 04. 'अण्डे के छिलके' किसका एकांकी संकलन है?
- विजय तेंदुलकर
- मोहन राकेश
- हरिकृष्ण प्रेमी
- गिरिजाकुमार माथुर
उत्तर: मोहन राकेश
प्रश्न 05. 'दीपदान' एवं 'बादल की मृत्यु' नामक संकलन किस एकांकीकार के हैं?
- रामकुमार वर्मा
- जगदीश चन्द्र माथुर
- उदयशंकर भट्ट
- विष्णु प्रभाकर
उत्तर: रामकुमार वर्मा
प्रश्न 06.. इनमें से कौन-सा एकांकी सत्येन्द्र शरत का है ?
- कलंक मोचन
- शोहदा
- होटल
- चक्रव्यूह
उत्तर: शोहदा
प्रश्न 07. कौन-सी कृति मोहन राकेश की नहीं है?
- अण्डे के छिलके
- सिपाही की मां
- कर्फ्यू
- चतुष्पथ
उत्तर: चतुष्पथ