फोर्ट विलियम कॉलेज और हिन्दी नवजागरण

फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना लॉर्ड वेलेजली ने 18 अगस्‍त 1800 ई. में कोलकाता में की थी। इसकी स्‍थापना का मुख्‍य उद्देश्‍य भाषा  ब्रिटिश अधिकारियों को भारतीय भाषाओं में प्रशिक्षण देना था।

इस  पोस्‍ट के माध्‍यम से हमने वैचारिक पृष्ठभूमि के अंतर्गत फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना, उद्देश्य एवं हिंदी के विकास में कॉलेज के योगदान का समीक्षात्मक वर्णन प्रस्तुत किया है।

फोर्ट विलियम कॉलेज और हिन्दी नवजागरण

फोर्ट विलियम कॉलेज और हिन्दी नवजागरण


    कॉलेज का नाम फ़ोर्ट विलियम कॉलेज
    स्थापना 10 जुलाई, 1800 को
    स्थापक लॉर्ड वेलेजली, तत्कालीन गवर्नर जनरल
    स्थान कोलकाता के फ़ोर्ट विलियम परिसर में
    उद्देश्य ब्रिटिश अधिकारियों को भारतीय भाषाओं में प्रशिक्षण देना
    महत्व भारतीय समाज व भाषा में नयापन की शुरुआत

    फोर्ट विलियम कॉलेज

    फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना 18 अगस्‍त 1800 ई. में कोलकाता में की गई। इसकी स्थापना लॉर्ड वेलेजली ने की थी। फोर्ट विलियम कॉलेज भाषाओं के अध्ययन का केन्द्र है, इसे ज्ञान-विज्ञान की शिक्षा का प्रतीक भी माना जाता है 

    फोर्ट विलियम कॉलेज द्वारा भारत की विभिन्न भाषाओं की हजारों पुस्तकों का अनुवाद किया गया, जिनमें हिन्दी, उर्दू, बंगला, संस्कृत आदि शामिल है। इस संस्था में जॉन गिलक्राइस्ट हिन्दुस्तानी विभाग के अध्यक्ष नियुक्त किए गए। 

    वेलेजली ने जॉन गिलक्राइस्ट की अध्यक्षता में ओरियण्टल सैमिनरी नामक संस्था की स्थापना की। बाद में यही संस्था फोर्ट विलियम कॉलेज में परिवर्तित हुई।

    फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना के उद्देश्य

    भाषा किसी भी राष्ट्र की पहचान होती है। भाषाओं का अध्ययन व उनकी स्थापना फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना का एक उ‌द्देश्य था। यहाँ ब्रिटेन के युवा सिविल अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाता था। लॉर्ड वेलेजली ये अनुभव करते थे कि कम्पनी के कर्मचारियों को जनभाषा का ज्ञान व उनके द्वारा सदाचरण का पालन होना चाहिए। 

    इस संस्थान के जरिये कर्मचारियों व अधिकारियों को भारतीय संस्कृति व भाषाओं को समझने का अवसर मिला। संस्था में भारतीय व अंग्रेज़ विद्वान भारतीय भाषाओं के आधुनिकीकरण के लिए साथ रहकर कार्य करते थे।

    फोर्ट विलियम कॉलेज में हिन्दी

    हिन्दी के क्षेत्र में फोर्ट विलियम की सर्वाधिक चर्चा 'प्रेमसागर' के सम्बन्ध में की गई है। हिन्दी को अन्य भाषाओं से भिन्न कर उसे स्थापित करने में 'प्रेमसागर' ने अहम भूमिका निभाई है। खड़ी बोली को लेकर कॉलेज की भूमिका में भ्रान्ति रही, लेकिन कविता, व्याकरण व ब्रजभाषा के क्षेत्र में संस्थान ने कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य किए। 

    'माधवविलास', 'राजनीति' तथा 'ब्रजभाषा व्याकरण' संस्थान में तैयार की गई अहम रचनाएँ थीं। धार्मिक ग्रन्थों के अनुवाद या उससे सम्बन्धित वृत्तान्तों के रूप में प्राचीन ब्रज भाषा या खड़ी बोली हिन्दी गद्य का रूप मिलता था, पर व्यावहारिक प्रयोजनों के लिए गद्य का सजग रूप में प्रयोग फोर्ट विलियम कॉलेज से प्रारम्भ होता है। ये प्रयोग जॉन गिलक्राइस्ट द्वारा हिन्दी गद्य में लिखवाए लेखो के रूप में थे। इन लेखों में सदल मिश्र की कृति 'नासिकेतोपाख्यान' और लल्लू लाल की कृति 'प्रेमसागर' का सर्वाधिक महत्त्व है। फोर्ट विलियम कॉलेज का हिन्दी भाषा को नया रूप देने में अहम योगदान माना जाता है।

    जॉन बार्थविक गिलक्राइस्ट व अन्‍य हिस्‍दुस्‍तानी भाषा के प्रोफेसर 

    जॉन बार्थविक गिलक्राइस्ट (John Borthwick Gilchrist; जून 1759 – 1841) अथवा जे॰ बी॰ गिलक्रिस्ट, ईस्ट इंडिया कम्पनी के कर्मचारी एवं भारतविद थे। कलकत्ता के फोर्ट विलियम्स कॉलेज में इन्होने हिंदुस्तानी भाषा की पुस्तकें तैयार कराने का कार्य किया।

    1. जॉन गिलक्राइस्ट का कार्यकाल 1800 ई. से 1804 ई. तक रहा ।
    2. ये कॉलेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष थे।
    3. इन्होंने 'ऑरिएंटल सेमिनरी' नामक संस्था की स्थापना की थी ।

    कृतियाँ

    • इंग्लिश-हिन्दुस्तानी डिक्शनरी, कलकत्ता (1787)
    • हिन्दुस्तानी ग्रामर (1796)


    कॉलेज में हिन्दुस्तानी भाषा के अन्य प्रोफेसर :-

    1. कैप्टेन जेम्स मोअट - जनवरी 1806 से फरवरी 1808 तक
    2. कैप्टेन विलियम टेलर -  फरवरी 1808 से मई 1823 तक।
    3. मेजर विलियम प्राइस - मई 1823 से दिसम्बर 1831 ई. तक।
    NOTE : 
    1. मेजर विलियम प्राइस फोर्ट विलियम कॉलेज के अंतिम अंग्रेज प्रोफ़ेसर थे। मेजर विलियम प्राइज के बाद ‘हिन्दुस्तानी’ भाषा के प्रोफ़ेसर पद को समाप्त कर दिया गया।
    2. 24 फ़रवरी 1854 ई. में फोर्ट विलियम कोलेज को बंद कर दिया गया था।  
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    फोर्ट विलियम कॉलेज का महत्त्व

    फोर्ट विलियम कॉलेज द्वारा किए गए भाषायी सुधार तथा पुस्तको के प्रकाशन से सम्बन्धित कार्यों का विशेष महत्त्व है। ब्रिटिश विद्वान् हिन्दी का महत्त्व समझते थे। वह भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक परिस्थितियों से अवगत थे, किन्तु हिन्दी की उपेक्षा भी करते थे। 

    कॉलेज के प्रिन्सिपल जॉन गिलक्राइस्ट ने हिन्दी के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए। उन्होंने भाषा के विकास के लिए अनेक पुस्तकें लिखवाई। यह कहा जा सकता है कि फोर्ट विलियम कॉलेज ने ही सुनियोजित हिन्दी की नींव रखी। हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में कॉलेज द्वारा किए गए प्रयोगों का आधुनिक हिन्दी पर भी असर दिखता है।

    अतः कह सकते हैं कि हिन्दी भाषा व साहित्य की चर्चा फोर्ट विलियम कॉलेज के योगदान को स्मरण किए बिना सदैव अधूरी रहेगी।

    प्रख्यात विद्वान

    फोर्ट विलियम कॉलेज में कई प्रतिष्ठित विद्वानों ने शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने भारतीय भाषाओं और साहित्य के विकास में बहुत योगदान दिया। उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया गया है:

    विलियम कैरी (1761-1834) 1801 से 1831 तक फोर्ट विलियम कॉलेज में थे। इस अवधि के दौरान उन्होंने बंगाली व्याकरण और शब्दकोश, कई पाठ्यपुस्तकें, बाइबल , अन्य भारतीय भाषाओं में व्याकरण और शब्दकोश प्रकाशित किए। 

    जॉन बोर्थविक गिलक्रिस्ट (जून 1759 – 1841)

    मृत्युंजय विद्यालंकार (लगभग 1762 - 1819) फोर्ट विलियम कॉलेज में प्रथम पंडित थे। उन्होंने कई पाठ्यपुस्तकें लिखीं और उन्हें बंगाली गद्य का पहला 'सचेत कलाकार' माना जाता है। उन्होंने बत्रिस सिंहासन (1802), हितोपदेश (1808) और राजाबली (1808) प्रकाशित किए। 

    तारिणी चरण मित्रा (1772-1837), अंग्रेजी, उर्दू, हिंदी, अरबी और फारसी के विद्वान, फोर्ट विलियम कॉलेज के हिंदुस्तानी विभाग में थे। उन्होंने कई कहानियों का बंगाली में अनुवाद किया था। 

    लल्लू लाल  संस्कृतनिष्ठ हिंदुस्तानी गद्य के जनक, फोर्ट विलियम कॉलेज में हिंदुस्तानी के प्रशिक्षक थे। उन्होंने 1815 में पुरानी हिंदी साहित्यिक भाषा ब्रजभाषा में पहली पुस्तक तुलसीदास की विनयपत्रिका छापी और प्रकाशित की ।

    रामराम बसु (1757-1813) फोर्ट विलियम कॉलेज में थे। उन्होंने बाइबल के पहले बंगाली अनुवाद के प्रकाशन में विलियम कैरी, जोशुआ मार्शमैन और विलियम वार्ड की सहायता की। 

    ईश्वर चंद्र विद्यासागर (1820-1891) 1841 से 1846 तक फोर्ट विलियम कॉलेज में मुख्य पंडित थे। कॉलेज में सेवा करते समय उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी पर ध्यान केंद्रित किया।