अंजो दीदी नाटक - उपेन्द्रनाथ अश्क

‘उपेन्द्रनाथ अश्क’ (Upendranath Ashk) हिंदी साहित्य में आधुनिक काल में ‘शुक्लोत्तर युग’ के प्रमुख कथाकार, नाट्यकार, उपन्यासकार और एकांकीकार माने जाते हैं। इन्‍होंने हिंदी साहित्य में पद्य और गद्य दोनों विधाओं में साहित्य का सृजन किया। इनके सृजनात्मक साहित्य में उपन्यास, एकांकी, नाटक, कहानी, काव्य, संस्मरण व रेखाचित्र शामिल हैं। अश्क जी को साहित्य में विशेष योगदान के लिए ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ और ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित भी किया गया हैं। 

Anjo Didi Natak Upendranath Ashk

    नाटक के प्रमुख पात्र

    1. श्रीपत (अंजो का भाई) :- श्रीपत नाटक में ऐसा पात्र जो अंजलि को समझाता है कि उसके कड़े स्वभाव के कारण सारा परिवार समस्या ग्रस्त हो जाएगा।
    2. अंजो दीदी (अंजली) :- अंजलि नाटक की मुख्य पात्र है, जो अनुशासित जीवन के लिए एकदम दृढ़ है तथा परिवार के अन्य लोगों को भी अनुशासन रखना चाहती है।
    3. इन्द्रनारायण (वकिल साहब) :- अंजली का पति
    4. नीरज :- अंजो का बेटा
    5. अनिमा :- अंजो की बेटी
    6. मुन्नी :- नौकरानी
    7. ओमी :- अंजली और इन्द्रनारायण की बहु
    8. नीलम :- नीरज का बेटा
    9. राजू


    नाटक का विषय :-

    1. मानसिक रोग से ग्रस्त महिला का चित्रण
    2. अभिजात वर्गीय महिला
    3. अनुशासन प्रिय महिला
    4. यांत्रिक ढाँचे को डालने की प्रवृत्ति जीवन की यांत्रिकता
    5. अहंवादिता एवं प्राचीन संस्कारों के दुष्प्रभाव 
    6. परिवार की विडंबना का चित्रण


    अंजो दीदी नाटक की समीक्षा

    अंजो दीदी में मुख्यपात्र ही अंजलि है। वह चाहती है कि जीवन अनुशासित रहे। वह अनुशासित जीवन के लिए एकदम दृढ़ रहती है। उसके हठी स्वभाव के कारण पूरे परिवार के सुख का नाश हो जाता है और स्वयं भी व्यक्तिगत ह्रास का कारण बनती है। नाटककार 'अश्क' जी का विचार है कि अहं की भावना परम्परागत प्रवृत्ति है, जो अपनी मनोवृत्तियों को दूसरों पर जबरदस्ती डालती है। वह न तो अपनी उन्नति करती है, न ही दूसरों की उन्नति होने देती है। अंजलि को यह भावना 'अंजो दीदी' अपने नानाजी से मिलती है।

    'अंजो दीदी' नाटक की शुरुआत अंजो दीदी के डायनिंग रूम से होती है। वह अपनी नौकरानी को फटकारते हुए कहती है कि आठ बज गए अभी नाश्ते का कुछ पता नहीं, जल्दी नाश्ता लगाओ। अंजो की यह तानाशाही केवल नौकरानी पर ही नहीं, अपितु अपने बेटे धीरज, पति इन्द्रनारायण आदि सभी पात्रों पर होती है। अंजो दीदी समय की पाबन्दी से एकदम जुड़ गई है। वे कहती हैं कि जीवन एक महान् गति है। प्रातः एवं सन्ध्या उसकी सुइयाँ हैं जो नियमबद्ध होकर एक-दूसरे के पीछे घूमती रहती हैं। मैं चाहती हूँ, मेरा घर भी उसी घड़ी की तरह चले और हम सब इसके पुर्जे बन जाएँ और नियमपूर्वक अपना काम करते जाएँ।

    नाटक में श्रीपत एक ऐसा पात्र है, जो अंजो दीदी की आदत को तोड़ता है। वह अंजलि को समझाता है कि उसके कड़े स्वभाव के कारण सारे परिवार का भविष्य समस्या ग्रस्त हो जाएगा। श्रीपत चाहता है कि प्रत्येक मनुष्य अपना नैसर्गिक स्वभाव न छोड़े। श्रीपत के आने के बाद से घर के परिवार वालों का स्वभाव बदलने लगा। श्रीपत के जाने के बाद अंजो दीदी पुनः अपने परिवार वालों को वश में करना चाहती हैं, लेकिन असमर्थ हो जाती हैं। वे मानसिक रोग से पीड़ित हो जाती हैं तथा स्वयं अपने ऊपर आक्रमण कर आत्महत्या कर लेती हैं।

    अंजो के अहं के परिणामस्वरूप उनके पति शराब की आदत में फँस गए और श्रीपत के लौटने के बाद भी वे अपनी आदत को नहीं छोड़ सके तथा अंजो दीदी की मृत्यु के बाद वे अपनी पत्नी के आदर्शों पर चलने लगते हैं। इस प्रकार  मृत्यु के पश्चात् भी अंजलि का दमन जारी है।

    शिक्षा मनोविज्ञान का मानना है कि संसार में समस्यामूलक बच्चे नहीं हैं, बल्कि समस्यामूलक माँ-बाप हैं। 'अंजो दीदी' नाटक में अंजलि ही समस्यामूलक माँ हैं जो न तो अपने बच्चों को अपनी इच्छा से जीने देती हैं न ही अपने पति को । अंजलि को प्रधान पात्र के रूप में बनाकर नाटककार उपेन्द्रनाथ 'अश्क' ने मनोविज्ञान के आधार पर उसकी मनोवृत्ति का शोधन किया है।

    इस पात्र द्वारा नाटककार यह सिखाना चाहते हैं कि जो जैसा है वैसा ही रहे। जब कोई भी आदमी अपनी वास्तविक मनोवृत्ति का उल्लंघन करता है; तब वह जीवन में असफलता प्राप्त करता है।

    महत्वपूर्ण बिंदु :-

    • उपेंद्रनाथ अश्क ने 'अंजो दीदी' नाटक वर्ष 1954 ई. में लिखा था। 
    • उपेन्‍द्रनाथ का नाटक अंजो दीदी रंगमंचीय दृष्टि से एक सफल नाटक है।
    • उच्च मध्य वर्ग ने खोखले संस्कारों की आड़ में जीवन को मशीन बना दिया है। जिसके कारण पूरी तरह से  मानसिक रोग से ग्रसित हो चुका है। 
    • इस नाटक में सभ्यता, शिष्टाचार और समय-निष्ठा से पीड़ित नारी की भावनाएँ दिखाई गई हैं।
    • अंजो दीदी नाटक का कथानक आभिजात्य वर्ग के परिवार से सम्बद्ध है।
    • अंजली अपने दमन, अहं व वर्चस्व के कारण अपने पारिवारिक जीवन को नष्ट कर देती है।

    अंजो दीदी नाटक के महत्वपूर्ण कथन 

      1. “जीवन स्वयं एक महान घड़ी है। प्रातः संध्या उसकी सूइयाँ है। नियमबद्ध एक दूसरी के पीछे घूमती रहती है। मैं चाहती हूँ मेरा घर भी घड़ी ही की भाँति चले। हम सब उसके पुर्जे बन जाये और नियम पूर्वक अपना –  अपना काम करते जायें।”कथन है। - अंजली का अनिमा से
      2. “संसार मे दो प्रकार के प्राणी होते है-एक वे, जो आप भी चलते है और दूसरों को भी चलाते है-इंजन की भाँति – अंजो उनमे से है। दूसरे वे, जो आप नहीं चल पाते, पर दूसरा कोई चलाये तो उसके पीछे –  पीछे चले जाते हैं  गाडी के डिब्बों की भाँति ! तो भई हम तो इस दूसरी श्रेणी के लोगों में से हैं।”कथन है। - इन्द्रनारायण का अनिमा  से
      3. ”समय-निष्ठा, स्वच्छता, नीति-रीति, सभ्य समाज के आचार-व्यवहार प्रत्येक बात का ध्यान रखते है।”कथन है। - इन्द्रनारायण का अनिमा  से
      4. “भूषण अलकार स्त्रियों की चीज़ समझ कर वे इसे पास भी नहीं फटकने देते है। सदैव अश्लील बातें करने मे उन्हें रस मिलता है और गंदे इतने होते हैं कि निकट बैठना कठिन हो जाता है।”कथन है। - इन्द्रनारायण का
      5. “तुम तो व्यर्थ मे गृहस्थी की चक्की से अपना माथा फोड़ रही हो। तुम्हे किसी सैनिक कोर मे छोटी – मोटी जूनियर या सीनियर कमांडर हो जाना चाहिए।”कथन है। -  श्रीपत का अंजली से
      6. “श्रीपत मै कहता हूँ, ब्रह्मा का वाक्य और मेरा वाक्य एक बराबर है। मैंने कहा न कि एक पल के लिए भी आप लोगों को अपनी दृष्टि से ओझल न होने दूंगा।”कथन है। - श्रीपत का अंजली से
      7. “आचार व्यवहार के सभी कानून कायदे शादीशुदा लोगो के अधेड़ दिमागों की उपज है।”कथन है। - श्रीपत का अनिमा से
      8. “शिष्टाचार विवाह का, यों कह लो कि बंधन का प्रतीक है। उधर आपका विवाह हुआ और इधर आपके गले में शिष्टाचार का जुआ पड़ा। ये आपकी सास है- इनके सामने सिर नीचा किये शिष्टता से यों मुस्कराओ मानो आपकेसब दांत झड़ गये हैं। ये आपकी सलहज हैं इनके सामने विनम्रता से मो मानो आपकी बतीसी मोतियों की है।” कथन है। - श्रीपत का
      9. ”आचार व्यवहार, सदाचार और शिष्टता की मौसी।”कथन है। - श्रीपत का अंजली से
      10. “जब इंसान मशीन बन जायेगा तो वह दिन दुनिया के लिए सबसे बड़े खतरे का दिन होगा। इंसान का मशीन बनना सनक का ही दूसरा रूप है। ”कथन है। - श्रीपत का इन्द्र नारायण से
      11. “मुझे कीचड़ में फेक दो और आशा रखो कि मैं अपने कपड़ो को उसके छीटों से बचाये रखूँ, यह कैसे संभव है।”कथन है। - नीरज का अपनी पत्नी ओमी से
    अंजो दीदी नाटक का प्रकाशन वर्ष


    Anjo Didi Natak MCQ


    प्रश्‍न 01. 'अंजो दीरी' नाटक के लेखक कौन है?

    उत्तर: उपेन्द्रनाथ अश्क


    प्रश्‍न 02. 'अंजो दीदी' नाटक का प्रकाशन वर्ष क्या है

    उत्तर: सन् 1955 इ.


    प्रश्‍न 03. अंजो दीदी नाटक क पहले अंक का स्थान कौन-सा है।

    उत्तर: अंजो दीदी के बंग्ले की बैठक व खाने का कमरा । समय- गर्मियों का एक दिन ।


    प्रश्‍न 04.  उपन्द्रनाथ अश्क जी की सबसे लोकप्रिय व प्रोंढ नाटक है।

    उत्तर: अंजो दीरी ।


    प्रश्‍न 05. अंजलि और श्रीपत किस नाटक के पात्र है।

    उत्तर: अंजो दीरी ।


    प्रश्‍न 06. 'अंजो दीदी' नाटक कितने अंक का है।

    उत्तर: 2 अंक ( 3-3 दृश्य) = कुल 6 दृश्य


    प्रश्‍न 07. दूसरा अंक कितने वर्षों बाद शुरू होता है।

    उत्तर: बीस वर्ष बाद ।


    प्रश्‍न 08. अंजो दीरी नाटक की मूल समस्या है पति-पत्नी, की विषमता। दो प्राणी जैसे अपने किसी नियम की पुराकाष्ठता पर पहुंचकर तदनुरूप आचरण करने लगते हैं तो कलह अवश्यंभावी हो जाती है।" - कथन है?

    उत्तर: दशरथ ओझा i


    प्रश्‍न 09. उपेन्द्रनाथ अश्क का प्रथम नाटक कौन-सा है।

    उत्तर: जय पराजय (1930)


    प्रश्‍न 10. उपेन्द्रनाथ अश्क के नाटकों को क्रमानुसार लगाओ

    उत्तर: स्वर्ग की झलक (1938), छठा बेटा (1940), उड़ान (1946) अंजो दीदी (1955), अंधी गली (1955).


    प्रश्‍न 11. 'नारी की कठोर पारिवारिक नियंत्रण से परिवार विघटन की समस्या' का चित्रण किस नाटक में हुआ है?

    उत्तर: - अंजो दीरी ।


    प्रश्‍न 12. "वक्त की पाबंदी सभ्यता की पहली निशानी है.. - कथन है

    उत्तर: अंजलि का ।


    प्रश्‍न 13.  "अपने घर को तुमने घड़ी-सा बना रखा है, सब मानो उसके पुर्जे है।" कथन है।

    उत्तर: अनिमा का।


    प्रश्‍न 14. 'अंजो रोदी' नाटक के दूसरे अंक का स्थान कौन-सा है।

    उत्तर: बंग्ले की बैठक का स्थान व खाने का कमरा, 20 वर्ष बाद समय 1953 सर्दियों का एक दिन


    प्रश्‍न 15. नाटक की नायिका कौन है।

    उत्तर: अंजो दीदी उर्फ अंजलि ।


    प्रश्‍न 16. अंजो दीदी को नियंत्रित और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा कहां से मिली थी।

    उत्तर: उनके नाना जी से ।


    प्रश्‍न 17. "जरा-सी गलती पर अपनी सनक में तुमने मेरे पांच बरस रेगिस्तान बना डाले अंजू ।" - कथन है।

    उत्तर: इंद्र का।


    प्रश्‍न 18. श्रीपत कौन है।

    उत्तर: अंजलि का भाई ।


    प्रश्‍न 19. 'अंजो दीदी' किस प्रकार का नाटक है

    उत्तर: मनोवैज्ञानिक ।


    प्रश्‍न 20. व्यक्ति जैसा चाहता है, वैसा नहीं कर पाता है, उस पर कार्य थोपे जाते हैं उसका दुष्परिणाम' इसका चित्रण उपेन्द्रनाथ अश्क जी के किस नाटक में हुआ है।

    उत्तर: अंजो दीदी नाटक में


    प्रश्‍न 21. 'इस घर के कण-कण को मैंने सलीका, समय की पाबंदी और सभ्य लोगों के रंग-ढंग सिखाये हैं "- कथन है।

    उत्तर: अंजलि का ।


    प्रश्‍न 22. "वक्त की पाबेरी सभ्यता की पहली निशानी है.. - कथन है

    उत्तर: अंजलि का ।


    प्रश्‍न 23. "अपने घर को तुमने घड़ी-सा बना रखा है, सब मानो उसके पुर्जे है।" कथन है।

    उत्तर: अनिमा का।


    प्रश्‍न 24. हम तो फिजूल की गृहस्थी की चक्की से अपना माथा फोड़ रही हो। तुम तो सेना में फैप्टन या छोटी-मोटी लेफ्टिनेंट हो जाना चाहिए - कथन है।

    उत्तर: श्रीपत का कथन।


    प्रश्‍न 25. "इस घर के लोग भी पुर्जे हैं, फसम भगवान की, मशीन केपुर्जे'- कथन है।

    उत्तर: श्रीपत का ।


    प्रश्‍न 26. "मुझे कीचड़ में फेंक दो और आशा रखो कि मैं अपने कपड़ों को उसके छीटों से बचाए रखूं, यह कैसे संभव है - कथन है

    उत्तर: नीरज का ओमी से ।


    प्रश्‍न 27. “आचार व्यवहार के सभी कानून कायदे शादीशुदा लोगों के अधेड़ दिमागों की उपज है" कथन है।

    उत्तर: श्रीपत !


    प्रश्‍न 28. 'अंजो दीदी' नाटक में आत्महत्या कौन कर लेता है।

    उत्तर: अंजलि |


    प्रश्‍न 29. "अजू दौरे से नहीं मरी, उसने आत्महत्या की थी "कथन है।

    उत्तर: अनिमा का।


    प्रश्‍न 30. "मंदिर में जैसे पूजा का समय बुंधा होता है और पुजारी चूक जाए तो दिन भर उसके मन में खटक रहती है कि उससे अपराध बन आया है इसी तरह मुझे भी लगा कि ठीक 8:00 बजे नास्ता मेज पर न आया तो भारी अपराध हो जाएगा" कथन है।

    उत्तर: ओमी का कथन


    प्रश्‍न 31. पतलिस्म को तोड़ना जरूरी है ताकि इस घर के लोग अपना-अपना जीवन जीये। - कथन है।

    उत्तर: श्रीपत का


    प्रश्‍न 32. नाटक में मुन्नी कौन है।

    उत्तर: नौकरानी