राम चंद्र शुक्ल (Ramchandra Shukla) :- जिन्हें आचार्य शुक्ल के नाम से जाना जाता है , बीसवीं शताब्दी के हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार थे। उनकी द्वारा लिखी गई पुस्तकों में हिन्दी साहित्य का इतिहास हिंदी साहित्य की प्रमुख किताबों में से एक है।
लेखक परिचय : रामचन्द्र शुक्ल
नाम :- रामचन्द्र शुक्ल (Ramchandra Shukla)
जन्म :- 4 अक्टूबर, 1884 ई. (अगौना गांव, बस्ती, उत्तरप्रदेश)
मृत्यु :- 2 फरवरी, 1941 ई.
माता तथा पिता :- हुलसी, आत्माराम दुबे ।
गुरु :- नरहरिदास, शेष सनातन
पेशा :- लेखक, पत्रका
भाषा :- संस्कृतनिष्ठ, शुद्ध तथा परिमार्जित खड़ीबोली
विधाएं :- आलोचना, कहानी, निबन्ध, साहित्येतिहास
सम्पादन :- काशी नागरी प्रचारिणी का सम्पादन कार्य
रामचन्द्र शुक्ल की प्रमुख रचनाएँ
निबन्ध :- संग्रह-‘चिन्तामणि’ भाग 1 और 2 तथा ‘विचार वीथी।
इतिहास :- ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’।
आलोचन :- ‘सूरदास’, ‘रसमीमांसा’, ‘त्रिवेणी’।
अन्य रचनाएँ :- 'रामचरितमानस', 'कवितावली', 'गीतावली', 'विनयपत्रिका' आदि।
सम्पादन :- जायसी ग्रन्थावली’, ‘तुलसी ग्रन्थावली’, ‘हिन्दी शब्द सागर’, ‘भ्रमरगीत सार’, ‘काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका’, ‘आनन्द कादम्बिनी’।
कविता क्या है ? - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
'कविता क्या है' शुक्ल जी का आलोचनात्मक निबन्ध है। इस निबन्ध का प्रारम्भ शुक्ल जी ने समास शैली/ सूत्र शैली से किया है- "कविता वह साधन है, जिसके द्वारा शेष सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक सम्बन्ध की रक्षा और निर्वाह होता है।" आगे की पंक्तियों में वे राग की व्याख्या करते हैं। दूसरे अनुच्छेद की प्रारम्भिक पंक्तियों में कविता का कार्य स्पष्ट करते हुए कहते हैं- "रागों का वेगस्वरूप मनोशक्तियों का सृष्टि के साथ उचित सामंजस्य स्थापित करके कविता मानव जीवन के कार्यत्व की अनुभूति उत्पन्न करने का प्रयास करती है। अन्यथा मनुष्य के जड़ हो जाने में कोई सन्देह नहीं। "
उदाहरण शैली का एक नमूना देते हुए उन्होंने बताया है कि एक साधारण-सा उदाहरण लेते हैं-'तुमने उससे विग्रह किया' यह बहुत ही साधारण वाक्य है, लेकिन 'तुमने उसका हाथ पकड़ा' यह एक विशेष अर्थगर्भित तथा काव्योचित वाक्य है। शुक्ल जी के निबन्ध 'कविता क्या है?' के अनुसार कविता का पर्याय काव्य है। कविता का लक्ष्य सृष्टि के नाना रूपों के साथ मनुष्य की भीतरी रागात्मक प्रवृत्ति का सामंजस्य स्थापित करना है। कविता की प्रेरणा से कार्य में प्रवृत्ति बढ़ जाती है। मनोरंजन करना कविता का महान गुण माना गया है। कविता के द्वारा चरित्र चित्रण के माध्यम से सुगमता से शिक्षा दी जा सकती है। कविता का कार्य भक्ति, श्रद्धा, दया, करुणा, क्रोध और प्रेम आदि मनोवेगों को तीव्र तथा परिवर्तित करना है तथा सृष्टि की वस्तुओं और व्यापारों से उनका उचित तथा उपयुक्त सम्बन्ध स्थापित करना है। कविता मनुष्य के हृदय को उन्नत व उदात्त बनाती है। यह सृष्टि सौन्दर्य का अनुभव कराती है। कविता की सृष्टि नाद-सौन्दर्य तथा भाव-सौन्दर्य दोनों के संयोग से होती है। रस और भाव कविता के प्राण हैं। कविता में अलंकारों का जबरदस्ती प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि मानव हृदय के स्रोतों से उनका विशेष सम्बन्ध नहीं होता।
कविता क्या है निबंध से संबंधित प्रश्नोत्तर:
प्रश्न 01. "कविता क्या है" निबंध आचार्य शुक्ल के कौन से ग्रंथ में शामिल है?
(A) चिंतामणि भाग 1
(C) चिंतामणि भाग 3
(B) चिंतामणि भाग 2
(D) चिंतामणि भाग 4
उत्तर:- (A) चिंतामणि भाग 1
प्रश्न 02. "कविता क्या है" निबंध चिंतामणि भाग 1 में कौन से क्रम पर है?
(A) 8 वें
(B) 9 वें
(C) 10 वें
(D) 11 वें
उत्तर:- (D) 11 वें
प्रश्न 03. "कविता क्या है" किस प्रकार का निबंध है?
(A) भावात्मक
(B) मनोविकारात्मक
(C) समीक्षात्मक / आलोचनात्मक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:- (C) समीक्षात्मक/ आलोचनात्मक
प्रश्न 04. "कविता क्या है" निबंध सर्वप्रथम किस पत्रिका में और कब प्रकाशित हुआ था?
(A) सरस्वती पत्रिका में सन 1907 में
(B) सरस्वती पत्रिका में सन 1909 में
(C) जमाना पत्रिका में, सन 1907 में
(D) जमाना पत्रिका में, सन 1909 में
उत्तर:- (B) सरस्वती पत्रिका में सन 1909 में
प्रश्न 05. "कविता क्या है" निबंध में कुल कितने खंड है?
(A) 10
(C) 12
(B) 11
(D) 13
उत्तर:- (D) 13
प्रश्न 06. जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञान दशा कहलाती है, उसी प्रकार हृदय की यह मुक्तावस्था क्या कहलाती है?
(A) मनोदशा
(B) भाव दशा
(C) रस दशा
(D) ज्ञान योग
उत्तर:- (C) रस दशा