समास शब्द का अर्थ होता है संक्षिप्त या छोटा करना है अर्थात् दो या दो से अधिक शब्दों के मेल या संयोग से बने सार्थक शब्द को समास कहते हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हम समास की परिभाषा, समास के भेद या प्रकार को जानेगें। यदि आपको समास के बारे में संंर्पूण जानकारी चाहिए तो आप इस पोस्ट का अंंत तक करूर पढ़े।
समास किसे कहते हैं
'संक्षिप्तिकरण' को ही समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है जो दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्दों अथवा कारक चिह्नों का लोप होने पर उन दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने एक स्वतन्त्र शब्द को समास कहते हैं।
उदाहरण 'भाई और बहन' का सामासिक शब्द बनता है 'भाई-बहन'। इस उदाहरण में 'भाई और बहन' इन दो शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले 'का' प्रत्यय का लोप होकर एक स्वतन्त्र शब्द बना 'भाई-बहन' ।
सामासिक पद, पूर्व पद और उत्तर पद
समास रचना दो शब्दों से मिलकर बना होता है, जिसे पद ही कहा जाता हैं पहले पद या शब्द को पूर्व पद तथा दूसरे शब्द या पद को उत्तर पद कहते है।
इन दोनों पदों या शब्दा के समास से जो नया संक्षिप्त शब्द बनता है उसे सामासिक पद या समस्त पद कहते हैं। जैसे:
राष्ट्र (पूर्व पद) + पति (उत्तर पद) = राष्ट्रपति (समस्त पद)
समास की विशेषताऍं
समास की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं—
२. समास में शब्दों के मिलन से एक नया शब्द बनाता है।
३. सामासिक पदों के बीच विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है।
४. समास से निर्मित शब्द में कभी-कभी उत्तर पद प्रधान होता है तो कभी पूर्व पद प्रधान होता है अथवा कभी-कभी अन्य पद। इसके अलावा कभी कभी दोनों पद प्रधान हो सकते हैं।
समास के प्रकार
समास के भेद समास के छह भेद होते हैं।
1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. द्विगु समास
5. द्वंद्व समास
6. बहुब्रीहि समास
1. द्वन्द्व समास
जिस समास में पूर्वपद और उत्तरपद दोनों ही प्रधान होते है अर्थात् अर्थ की दृष्टि से दोनों का स्वतन्त्र अस्तित्व हो और उनके मध्य संयोजक शब्द का लोप हो तो उसे द्वन्द्व समास कहते है; जैसे-
दाल- रोटी = दाल और रोटी
कंद-मूल = कन्द और मूल
माता-पिता = माता और पिता
राम-कृष्ण = राम और कृष्ण
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
सुख-दुःख = सुख और दुःख
2. द्विगु समास
जिस सामासिक शब्द का प्रथम पद सख्यावाची और अंतिम पद संज्ञा हो, वह द्विगु समास कहलाता हैं;
जैसे-
पंचवटी = पांच वटो का समूह
चौमासा = चार महीनों के समूह
सप्तपदी = सात पदों का समूह
सप्त सिंधु = सात नदियों का समूह
नवरत्न = नौ रत्नों का समूह
सप्तदीप = सात दीपों का समूह
त्रिभुवन = तीन भुवनों का समूह
सतमंजिल = सात मंजिलों का समूह
3. तत्पुरुष समास
जिस समास में पूर्वपद गौण तथा उत्तरपद प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते है। जैसे-
सुखप्रद = सुख को देने वाला
अजन्मांध = जन्म से अंधा
जलमग्न = जल में मग्न
आपबीती = अपने पर बीती
तत्पुरुष समास के दोनों पदों के बीच परसर्ग का लोप रहता है। परसर्ग लोप (विभक्ति चिन्ह) के आधार पर तत्पुरुष समास के छ: भेद हैं:-
(i) कर्म तत्पुरुष ('को' का लोप) जैसे-
(ii) करण तत्पुरुष जहाँ करण-कारक चिह्न ('से' )का लोप हो; जैसे—
मुँहमाँगा = मुँह से माँगा
गुणहीन = गुणों से हीन
(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष जहाँ सम्प्रदान कारक चिह्न ('को, के लिए' )का लोप हो; जैसे-
सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रह
युद्धभूमि = युद्ध के लिए भूमि
(iv) अपादान तत्पुरुष जहाँ अपादान कारक चिह्न ( 'से' - अलग होना ) का लोप हो; जैसे-
भयभीत = भय से भीत
जन्मान्ध = जन्म से अन्धा
(v) सम्बन्ध तत्पुरुष जहाँ सम्बन्ध कारक चिह्न से ( 'का, के, की' )का लोप हो; जैसे-
दिनचर्या = दिन की चर्या
भारतरत्न = भारत का रत्न
(vi) अधिकरण तत्पुरुष जहाँ अधिकरण कारक चिह्न ( 'मेें, पर' ) का लोप हो; जैसे-
आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास
घुड़सवार = घोड़े पर सवार
4. कर्मधारय समास
जिस सामासिक शब्द में उतर पद प्रधान होता हैं, उसे कर्मधारय समास कहते हैं। इसमे पूर्व पद विशेषण और उत्तर पद विशेष्य होता है; जैसे-
महत्मा = महान हैं जो आत्मा
पुरुषोत्तम = पुरुषों में उत्तम
चरणकमल = कमल के समान चरण
चन्द्रमुख = चंद्रमाकेसमान मुख
कालीमिर्च = काली है जो मिर्च
पीताम्बर = पीत (पीला) है जो अम्बर
चन्द्रमुखी = चन्द्र के समान मुख वाली
सद्गुण = सद् हैं जो गुण
5. अव्ययीभाव समास
जिस समास में प्रथम पद प्रधान तथा पूर्वपद अव्यय हो, अव्ययीभाव समास कहलाता है। यह वाक्य में क्रिया-विशेषण का कार्य करता है; जैसे-
आजीवन = जीवन-भर
प्रतिदिन = प्रत्येक दिन
यथासमय = समय के अनुसार
यथाशीघ्र = शीघ्रता से
सपरिवार = परिवार सहित
सानन्द = आनन्द सहित
आजन्म = जन्म भर
6. बहुव्रीहि समास
जिस समास में दोनों पदों के माध्यम से किसी एक विशेष (तीसरे) अर्थ का बोध होता है, बहुव्रीहि समास कहते है; जैसे-
नीलकण्ठ = नीला कण्ठ है जिनका अर्थात् - शिवजी।
लम्बोदर = लम्बा उदर है जिनका अर्थात् - गणेशजी।
गिरिधर = गिरि को धारण करने वाले अर्थात् - श्रीकृष्ण।
मक्खीचूस = बहुत कंजूस व्यक्ति
नीलकंठ = नीला हैं कंठ जिसका अर्थात - शिव
दशानन = दस हैं आनन जिसके अर्थात - रावण
पंकज = पंक में पैदा हो जो अर्थात - कमल
समास के उदाहरण
1. अव्ययीभाव समास के उदाहरण
अव्ययीभाव समाज के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित है:-
निर्विवाद = विवाद से रहित
प्रतिदिन = हर दिन या दिन-दिन
आजीवन = जीवन रहने तक या जीवन भर
आजन्म = जन्म तक
प्रतिवर्ष = हर वर्ष
प्रत्येक = हर एक
प्रतिलिपि = लिपि के समकक्ष लिपि
प्रतिद्वंद्वी =द्वन्द्व करने का
नालायक = जो लायक नहीं
यथागति = गति के अनुसार
यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
यथासम्भव = जैसा सम्भव है
यथास्थिति = जैसी स्थिति है
2. तत्पुरुष समास के उदाहरण
तत्पुरुष समाज के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित है:-
देशभक्ति = देश के लिए भक्ति
दिल तोड़ = दिल को तोड़ने वाला
गुणरहित = गुण से रहित
जन्मान्ध = जन्म से अन्धा
आत्मनिर्भर = स्वयं पर निर्भर
आपबीती = अपने पर बीती हुई
पापमुक्त = पाप से मुक्त
राजसभा = राजा की सभा
अकालपीड़ित = अकाल से पीड़ित
घुड़साल = घोड़ों के लिए साल
कविराज = कवियों में राजा
सिरदर्द = सिर में दर्द
चर्मरोग = चर्म का रोग
3. कर्मधारय समास के उदाहरण
कर्मधारय समाज के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित है:-
प्रधानाध्यापक = प्रधान है जो अध्यापक
कापुरुष = कायर है जो पुरुष
नीलकमल = नीला है जो कमल
पीतांबर = पीत है जो अंबर
नीलगगन =नीला है जो गगन
लालमणि = लाल है जो मणि
महादेव = महान है जो देव
नवयुवक = नव है जो युवक
कमलनयन = कमल के समान नयन
4. द्विगु समास के उदाहरण
द्विगु समाज के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित है:-
सप्ताह = सात दिनों का समूह
चौराहा = चार राहों का समूह
चतुर्मुख = चार मुखों का समाहार
चारपाई = चार पैरों का समूह
दोराहा = दो राहों का समाहार
चौमासा = चार मासों का समाहार
सतसई = सात सौ दोहों का समाहार
त्रिभुवन = तीन भुवनों का समाहार
तिरंगा = तीन रंगों का समूह
त्रिफला = तीन फलों का समूह
नवरात्र = नौ रात्रियों का समूह
पंचवटी = पांच वृक्षों का समूह
सप्तसिंधु = सात सिन्धुओं का समूह
चौमासा = चार मासों का समूह
छमाही = छह माहों का समाहार
अष्टधातु = आठ धातुओं का समाहार
त्रिवेणी = तीन वेणियों का समाहार
5. द्वंद्व समास के उदाहरण
द्वंद्व समाज के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित है:-
भला-बुरा = भला और बुरा
भूल-चूक = भूल या चूक
सुख-दुख = सुख या दुःख
गौरीशंकर = गौरी और शंकर
राजा-रंक = राजा और रंक
देश-विदेश = देश और विदेश
खरा-खोटा = खरा या खोटा
गुण-दोष = गुण और दोष
सीता-राम = सीता और राम
ठण्डा-गरम = ठण्डा या गरम
खरा-खोटा = खरा और खोटा
राधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण
सीता-राम = सीता और राम
राजा-प्रजा = राजा एवं प्रजा
भाई-बहन = भाई और बहन
एड़ी-चोटी = एड़ी और चोटी
लेन-देन = लेन और देन
भला-बुरा = भला और बुरा
जन्म-मरण = जन्म और मरण
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
आटा-दाल = आटा और दाल
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
देश-विदेश = देश और विदेश
रुपया-पैसा = रुपया और पैसा
मार-पीट = मार और पीट
माता-पिता = माता और पिता
भाई-बहन = भाई और बेहेन
गुण-दोष = गुण और दोष
नर-नारी = नर और नारी
6. बहुब्रीहि समास के उदाहरण
बहुब्रीहि समाज के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित है:-
महावीर = महान् है जो वीर वह अर्थात् हनुमान