हिन्दी साहित्य का इतिहास | hindi sahitya ka itihas : आज के इस पोस्ट में हम हिंदी साहित्य के इंतिहास के बारे में जानेगें तथा इतिहास के संबंधित प्रमुख कवि और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में देखेंगे और हिंदी साहित्य का काल विभाग कैसे किया गया था विभाजन की आवश्यकता क्यों पड़ी इन सभी छोटी-छोटी बातें का संक्षिप्त उत्तर देने की कोशिश करेंगे तथा अपसे उम्मीद भी की जाती है कि यदी कोई प्रश्न अपने मन में हो तो हमें comments जारूर करें हम अपके सभी उत्तर देने की पूरी कोशिश करेंगें तथा अपने सुक्षाव भी आप हमारे साथ साझा कर सकते है।
हिंदी साहित्य के प्रमुख तथ्य :
अतीत के किसी भी तथ्य, तत्त्व एवं प्रवृत्ति के वर्णन, विवरण, विवेचन व विश्लेषण को, जो काल विशेष या कालक्रम की दृष्टि से किया गया हो, इतिहास कहा जा सकता है।
देत महोदय ने साहित्य के विकास की व्याख्या के निम्न तीन आधारभूत सूत्र बताए
- जाति,
- वातावरण और
- श्रण।
हडपन महोदय ने युग चैतमा व परम्परा दोनों का समन्वय किया तथा साहित्यकार के निष्ट विशिष्ट व्यक्तित्व को ही विकास का आधार माना हैं।
मार्क्सवादी चिन्तक, व्यक्ति के स्थान पर समाज की आर्थिक परिस्थितियों एवं वर्ग संघर्ष के
आधार पर साहित्य की व्याख्या करते हैं।
जबकि फ्रॉयडवादी विचारक मानसिक, अंतर्द्वंद्व की ही साहित्य विकास का मूल
कारण मानते हैं।
आई ए रिचर्स जैसे महान विद्वानों ने काव्य के रैली पक्ष की
व्याख्या मनोवैज्ञानिक तथा अर्थ विज्ञान के आधार पर की है।
हिन्दी साहित्य के प्रमुख इतिहास ग्रन्थकारों का संक्षिप्त परिचय
गार्सा-द-तासी
हिन्दी साहित्य के
इतिहास लेखन की परम्परा की शुरुआत 'गार्सा-द-तासी' ने की, जोकि एक फ्रेंच विद्वान् थे। उनकी इस लेखन परम्परा की शुरुआत उनके द्वारा रचित ग्रन्थ
इस्त्वार द ला लितरेत्यूर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी से हुई। यह दो भागों में है- प्रथम
भाग का प्रकाशन 1839 ई. व द्वितीय भाग का प्रकाशन 1847 ई. में हुआ।
शिवसिंह सेंगर
इतिहास से संबंधी
दूसरी रचना शिवसिंह सरोज है, जिसकी रचना शिवसिंह सेंगर ने 1883 ई. में की थी। शिवसिंह सरोज में
लगभग एक हजार कवियों की रचनाएँ व जन्मकाल (जीवन चरित्र) दिया गया है, परन्तु उनमें अधिकांश तथ्य अविश्वसनीय हैं ।
सर जॉर्ज ग्रियर्सन
द मॉडर्न वर्नाक्यूलर
लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान जॉर्ज ग्रियर्सन की कृति है। जिसका प्रकाशन 'एशियाटिक सोसायटी ऑफ
बंगाल' में अनेक विद्वानों ने इस
ग्रन्थ को साहित्य का प्रथम इतिहास माना है।
मिश्रबन्धु
मिश्रबन्धु द्वारा रचित मिश्रबन्धु
विनोद ग्रन्थ हिन्दी साहित्य के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे कृष्ण
बिहारी मिश्र, शुकदेव बिहारी मिश्र तथा गणेश बिहारी मिश्र इन तीनों भाइयों
ने लिखा था। इसकी रचना चार भागों में हुई, जिसके प्रथम तीन भाग 1913 ई. तथा चौथा भाग 1914 ई. में प्रकाशित हुआ।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
हजारीप्रसाद द्विवेदी
- हिन्दी साहित्य की भूमिका
- हिन्दी साहित्य का उद्भव एवं विकास
- साहित्य का आदिकाल
हिंदी साहित्य का काल विभाजन (hindi sahitya ka kaal vibhajan)
जॉर्ज ग्रियर्सन का काल विभाजन
काल विभाजन के सम्बन्ध में सबसे पहला प्रयास जॉर्ज ग्रियर्सन का है। वे कालविभाजन में पूर्णतः सफल तो नहीं हो सके, फिर भी उन्होंने यथासम्भव काल क्रमानुसार सामग्री को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
उनका काल विभाजन इस
प्रकार है :-
1. चारण काल (700-1300 ई.)
2. 15वीं शताब्दी का धार्मिक पुनर्जागरण
3. जायसी की प्रेम कविता
4. ब्रज का कृष्ण सम्प्रदाय
5. मुगल दरबार
6. तुलसीदास
7. रीतिकाव्य
8. तुलसी के अन्य परवर्ती
9. 18वीं शताब्दी
10. कम्पनी के शासन में
हिन्दुस्तान
मिश्रबन्धुओं का काल विभाजन
1. प्रारम्भिक काल
- पूर्वारम्भिक काल (700-1343 वि.)
- उत्तरारम्भिक काल (1344-1444 वि.)
- पूर्वमाध्यमिक काल (1445-1560 वि.)
- प्रौढ़ माध्यमिक काल (1561-1680 वि.)
- पूर्वालंकृत काल (1681-1790 वि.)
- उत्तरालंकृत काल (1791-1889 वि.)
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का काल विभाजन
1. आदिकाल या वीरगाथाकाल (संवत् 1050-1375)
2. पूर्वमध्यकाल या भक्तिकाल (संवत् 1375-1700)
3. उत्तर मध्यकाल या रीतिकाल (संवत् 1700-1900)
4. आधुनिक काल या गद्यकाल (संवत् 1900-1984)
डॉ. रामकुमार वर्मा का काल विभाजन
डॉ. रामकुमार वर्मा ने ‘हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास’ (1938) में 693 ई. से 1693 ई. तक की कालावधि को हि लिया गया है। इनके
द्वारा काल विभाग इस प्रकार किया गया :-
1. सन्धिकाल (750-1000 वि.)
2. चारणकाल (1000-1375 वि.)
3. भक्तिकाल (1375-1700 वि.)
4. रीतिकाल (1700-1900 वि.)
5. आधुनिक काल (1900 वि. से अब तक)
डॉ. गणपतिचन्द्र गुप्त का काल विभाजन
1. प्रारम्भिक काल या आदिकाल (1184-1350 ई.)
2. मध्यकाल पूर्व मध्यकाल (1350-1600 ई.)
3. मध्यकाल उत्तर मध्यकाल (1600-1857 ई.)
4. आधुनिक काल (1857 से अब तक)
हिंदी साहित्य के प्रमुख इतिहास ग्रंथ एवं उनके ग्रंथकार
ग्रंथकार
ग्रंथ
गार्सा-दा-तासी
इस्त्वार द ला लितरेत्यूर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी (1839)
शिवसिंह सेंगर
शिवसिंह सरोज (1883)
जॉर्ज ग्रियर्सन
‘द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान (1888)
मिश्रबन्धु
मिश्रबन्धु विनोद (1913)
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929)
डॉ. नगेन्द्र व डॉ. हरदयाल
हिन्दी साहित्य का इतिहास
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952), हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940), हिन्दी साहित्य : उद्भव व विकास (1952)
डॉ. गणपतिंचन्द्र गुप्त
हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास (1965)
सं. डॉ. धीरेन्द्र वर्मा
हिन्दी साहित्य का इतिहास (1933)
डॉ. भगीरथ मिश्र
हिन्दी काव्यशास्त्र का इतिहास (1902)
डॉ. नगेन्द्र
रीतिकाव्य की भूमिका (1949)
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
हिन्दी साहित्य का अतीत (1960)
परशुराम चतुर्वेदी
उत्तरी भारत की सन्त परम्परा (1951)/td>
डॉ. मोतीलाल मेनारिया
राजस्थानी भाषा और साहित्य (1960 लगभग), राजस्थानी पिंगल साहित्य (1961 लगभग)
डॉ. नलिन विलोचन शर्मा
हिन्दी साहित्य का इतिहास दर्शन (1960)
पं. महेशदत्त शुक्ल
हिन्दी काव्य संग्रह (1873)
पं. रामनरेश त्रिपाठी
कविता कौमुदी (1928)
बाबू श्यामसुन्दर दास
हिन्दी भाषा एवं साहित्य (1930)
सूर्यकान्त शास्त्री
हिन्दी साहित्य का विवेचनात्मक इतिहास (1930)
आचार्य चतुरसेन शास्त्री
हिन्दी साहित्य का इतिहास
मैनेजर पाण्डेय
इतिहास एवं साहित्य दृष्टि (1981)
डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी
हिन्दी साहित्य और संवेदना का विकास (1986)
डॉ. टीकम सिंह तोमर
हिन्दी वीर काव्य (1954)
प्रभुदयाल मीतल
चैतन्य सम्प्रदाय और उसका साहित्य (1968 लगभग)
ब्रजरत्न दास
खड़ी बोली हिन्दी साहित्य का इतिहास (1998)
डॉ. श्रीकृष्ण लाल
आधुनिक हिन्दी साहित्य का विकास (1900-1925)
डॉ. लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय
आधुनिक हिन्दी साहित्य (1850-1900)
मोतीलाल मेनारिया
राजस्थानी साहित्य की रूपरेखा (1939)
डॉ. रामकुमार वर्मा
हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास (1938)
डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी
हिन्दी साहित्य का सरल इतिहास (1985)
नागरी प्रचारिणी सभा
हिन्दी साहित्य का वृहत् इतिहास (1961)
बच्चन सिंह
हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास (1996)
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔष
हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास (1931)
hindi sahitya ka itihas FAQ :-
प्रश्न : हिंदी साहित्य को कितने काल में बांटा गया है?
उत्तर : हिंदी साहित्य का काल विभाजन तथा नामकरण में सभी
साहित्येतिहासकारों द्वारा सर्वमान्य
चार भागों में भाटा गया है-
आदिकाल (1000 ई. से 1350 ई.)
भक्तिकाल (1350 ई. से 1650 ई.)
रीतिकाल (1650 ई. से 1850 ई.)
आधुनिक काल (1850 ई. से अब तक)
प्रश्न : गार्सा द तासी के इतिहास ग्रंथ का नाम क्या है?
उत्तर : हिंदी का सर्वप्रथम इतिहास
ग्रंथ "इस्त्वार द ल लितरेत्यूर ऐंदूई ऐ ऐंदूस्तानी" गार्सा द तासी द्वारा ही लिखा गया है।
प्रश्न : हिंदी साहित्य का आरंभ कब और कैसे हुआ?
उत्तर : हिंदी साहित्य का आरम्भ आठवीं शताब्दी से माना जाता है। यह वह समय है जब सम्राट हर्ष की मृत्यु के बाद देश में अनेक छोटे छोटे शासनकेन्द्र स्थापित हो गए थे जो परस्पर संघर्षरत रहा करते थे। विदेशी मुसलमानों से भी इनकी टक्कर होती रहती थी। ऐसे में हिंदी साहित्य का विकास हुआ, तथा हिंदी का उद्भव शौरसेनी, अर्धमागधी तथा मागधी अपभ्रंश से हुआ है।